कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित ग्राम चंद्रनगर निवासी दिलहरण पटेल ने त्रस्त होकर जान देने जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया। उन्होंने इसके लिए एसईसीएल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। दिलहरण के पुत्र मुकेश कुमार ने बताया कि एसईसीएल द्वारा घर का सर्वे किया गया और कहा गया था कि काम देंगे। इसके बाद आज तक न तो काम मिला है और न ही मुआवजा दिया गया। एसईसीएल के इस रवैय्ये के कारण जीवन यापन मुश्किल हो गया है। परेशान होकर दिलहरण ने जहर का सेवन कर लिया, उसे उपचार के लिए इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में दाखिल कराया गया है।
इससे पहले भी एसईसीएल की अन्य परियोजना से प्रभावित भू-विस्थापितों द्वारा आत्मघाती कदम उठाए जाने की चेतावनी दी जा चुकी है लेकिन गंभीरता प्रबंधन के द्वारा नहीं दिखाई जा रही। कुसमुंडा परियोजना का आलम यह है कि ऐसे भू-विस्थापित जिनकी नौकरी से संबंधित सारे दस्तावेज की जांच और औपचारिकताएं पूर्ण हो चुकी है तथा स्थानीय से लेकर मुख्यालय स्तर तक कोई भी कमी शेष नहीं है, ऐसे पात्र भू-विस्थापितों को भी नौकरी के लिए कोई न कोई बहाना कर टालमटोल किया जा रहा है।